21 जुलाई 2025 को, केरल के पूर्व मुख्यमंत्री और भारत के प्रमुख कम्युनिस्ट नेताओं में से एक, V.S. Achuthanandan का निधन हो गया। वे 101 वर्ष के थे। उन्होंने 2006 से 2011 तक केरल के मुख्यमंत्री के रूप में कार्य किया और अपनी दृढ़ निष्ठा, कम्युनिस्ट विचारधारा और समाज के हाशिए पर रहने वाले लोगों के लिए संघर्ष के कारण हमेशा याद किए जाएंगे। उनका निधन केरल और भारत के राजनीति और सामाजिक आंदोलनों में एक बड़ी रिक्तता को छोड़ गया है।
V.S. Achuthanandan की जीवित विरासत
V.S. Achuthanandan को केरल में कम्युनिस्ट आंदोलन के सबसे बड़े चेहरों में से एक के रूप में माना जाता था। उनका जीवन संघर्ष और त्याग का प्रतीक था। वे उन कम्युनिस्ट नेताओं में शामिल थे जिन्होंने केरल में न केवल पार्टी के लिए, बल्कि आम जनता के लिए भी काम किया। उन्होंने हमेशा गरीबों, मजदूरों और समाज के कमजोर वर्गों के लिए आवाज उठाई।
उनकी प्रसिद्धि का एक प्रमुख कारण उनका सशक्त नेतृत्व था, जो उन्होंने कई दशकों तक विपक्ष के नेता के रूप में निभाया। वे हमेशा ही जनता के मुद्दों के लिए संघर्ष करते रहे, चाहे वह पर्यावरण की रक्षा हो, महिला अधिकारों का मुद्दा हो या ट्रांसजेंडर अधिकारों के लिए उनका समर्थन।
प्रारंभिक जीवन और राजनीति में प्रवेश
Achuthanandan का जन्म 1923 में अलाप्पुझा जिले के पुन्नाप्र गांव में हुआ था। उनका परिवार गरीब था और उन्होंने अपनी प्रारंभिक शिक्षा कठिन परिस्थितियों में प्राप्त की। 16 वर्ष की आयु में उन्होंने स्वतंत्रता संग्राम में भाग लिया और यह उनके जीवन का turning point था। उन्होंने युवा अवस्था में ही भारतीय स्वतंत्रता संग्राम में भाग लिया और बाद में कम्युनिस्ट विचारधारा से जुड़ गए।
उनकी राजनीतिक यात्रा 1946 के मिलिटेंट लेफ्ट संघर्ष में भाग लेने के साथ शुरू हुई, जो ब्रिटिश शासन के खिलाफ था। इसके बाद वे कई बार गिरफ्तार हुए और पुलिस द्वारा यातनाएं भी दी गईं।
मुख्यमंत्री के रूप में Achuthanandan का कार्यकाल
V.S. Achuthanandan ने 2006 से 2011 तक केरल के मुख्यमंत्री के रूप में कार्य किया। इस दौरान उन्होंने कई ऐसे ऐतिहासिक कदम उठाए, जिनकी केरल में बहुत सराहना हुई। उन्होंने गरीबों और मजदूरों के लिए कई योजनाएं शुरू की और सामाजिक न्याय की दिशा में कई महत्वपूर्ण फैसले लिए।
हालांकि, उनके मुख्यमंत्री बनने के बाद पार्टी में भी कुछ विवाद उठे, खासकर जब उन्होंने पार्टी के विरोधी नेताओं के खिलाफ मुखर होकर आवाज उठाई। उन्हें पार्टी के कुछ सदस्यों ने “दक्षिणपंथी” और “गुटबाजी को बढ़ावा देने वाला” भी कहा, लेकिन वे कभी भी अपनी विचारधारा से पीछे नहीं हटे।
एक क्रांतिकारी नेता और उनके योगदान
Achuthanandan का सबसे बड़ा योगदान यह था कि उन्होंने हमेशा उन मुद्दों के खिलाफ आवाज उठाई जिनके लिए लोग कमजोर थे। चाहे वह जलवायु परिवर्तन, महिलाओं की समानता, या मजदूरों के अधिकार हों, उन्होंने हमेशा ऐसे मुद्दों पर खुलकर अपनी राय दी।
उनकी भाषा का तरीका सटीक और व्यंग्यात्मक था, जिससे उनकी बातों में एक अलग प्रभाव था। वे हमेशा जनता के बीच रहते थे और उनकी आवाज बनते थे। वे एक प्रेरणादायक नेता थे जिनकी नेतृत्व शैली आज भी कई नेताओं के लिए उदाहरण के रूप में है।
आध्यात्मिक दृष्टिकोण और व्यक्तिगत जीवन
एक rationalist और atheist के रूप में Achuthanandan ने धर्म और आस्था पर हमेशा स्पष्ट राय रखी। उनके जीवन में धर्म का कोई स्थान नहीं था, और उन्होंने हमेशा विज्ञान और तर्क को प्राथमिकता दी।
उनकी पत्नी K. Vasumathy और उनके दो बच्चे, बेटी V.V. Asha और बेटे V.A. Arun Kumar, उनके जीवन के सबसे करीबी लोग थे, और वे उनके कार्यों में हमेशा उनके साथ थे।
निष्कर्ष
V.S. Achuthanandan के निधन से केरल और पूरे भारत के राजनीतिक क्षेत्र में एक बड़ा शोक है। उनकी राजनीति, संघर्ष, और समाज के प्रति उनकी प्रतिबद्धता ने उन्हें एक अमिट स्थान दिलाया। उनका जीवन एक प्रेरणा है और उनके विचारों और कार्यों का प्रभाव कई वर्षों तक महसूस किया जाएगा। उनके योगदान को कभी नहीं भुलाया जा सकता।