बेंगलुरु में RCB के IPL 2025 जीत का जश्न तब मातम में बदल गया जब चिन्नास्वामी स्टेडियम के बाहर भीड़ में मची भगदड़ ने 11 लोगों की जान ले ली। इस दर्दनाक हादसे ने क्रिकेट प्रेमियों को झकझोर कर रख दिया।
रॉयल चैलेंजर्स बैंगलोर (RCB) ने पहली बार IPL ट्रॉफी जीतकर इतिहास रच दिया। लेकिन इस ऐतिहासिक जीत का जश्न उस वक़्त एक खौफनाक हादसे में तब्दील हो गया जब हजारों की संख्या में जुटी भीड़ ने नियंत्रण खो दिया। घटना में 11 लोगों की मौत और 33 से अधिक लोग घायल हो गए। हादसा बेंगलुरु के M. चिन्नास्वामी स्टेडियम के बाहर हुआ, जहां जीत की खुशी में RCB द्वारा आयोजित की गई विजय यात्रा में लोग उमड़ पड़े थे।
IPL जीत के महज 18 घंटे बाद ही हुआ जश्न
RCB की ऐतिहासिक जीत के बाद केवल 18 घंटे के भीतर ही एक बड़े जश्न का आयोजन करना सवालों के घेरे में है। न कोई पर्याप्त सुरक्षा व्यवस्था, न ही भीड़ नियंत्रण का कोई ठोस प्लान—यह सब मिलकर एक भीषण हादसे में तब्दील हो गया।
पूर्व क्रिकेटर मदन लाल ने जताई नाराज़गी
1983 विश्व कप विजेता टीम के सदस्य और पूर्व भारतीय तेज़ गेंदबाज़ मदन लाल ने RCB और उसके प्रबंधन को इस त्रासदी के लिए ज़िम्मेदार ठहराया। उन्होंने कहा,
“इतनी बड़ी त्रासदी पूरी तरह से टाली जा सकती थी। क्या ज़रूरत थी टीम को अहमदाबाद से लौटते ही चार घंटे के अंदर जुलूस निकालने की?”
मदन लाल ने साफ तौर पर कहा कि RCB की फ्रेंचाइज़ी ने जल्दबाज़ी में बड़ा फैसला लेकर भारी चूक की है।
सरकार और फ्रेंचाइज़ी दोनों की है ज़िम्मेदारी
पूर्व खिलाड़ी का मानना है कि राज्य सरकार और RCB दोनों को इस हादसे की ज़िम्मेदारी लेनी चाहिए।
“अगर राज्य सरकार ने पहले ही अनुमति देने से इनकार कर दिया था, तो आयोजन को रोका क्यों नहीं गया? और अगर RCB को हालात का अंदाज़ा था, तो क्यों उन्होंने जश्न को 2-3 दिन बाद आयोजित नहीं किया?”
पुलिस ने दी थी चेतावनी, फिर भी हुई चूक
बेंगलुरु ट्रैफिक पुलिस ने पहले ही परेड की अनुमति देने से इनकार कर दिया था, यह कहते हुए कि ट्रैफिक और भीड़ प्रबंधन के लिहाज़ से परिस्थितियाँ अनुकूल नहीं हैं। फिर भी रिपोर्ट्स के मुताबिक RCB प्रबंधन ने परेड की अनुमति पाने के लिए लगातार दबाव बनाया।
‘BCCI को नहीं ठहराया जा सकता दोषी’
मदन लाल ने BCCI को इस हादसे से अलग रखते हुए कहा,
“यह RCB और राज्य प्रशासन की संयुक्त ज़िम्मेदारी थी। BCCI की कोई प्रत्यक्ष भूमिका नहीं थी। लेकिन अब सवाल यह है कि जिन परिवारों ने अपने प्रियजन खो दिए, उनकी भरपाई कौन करेगा?”
‘खुशी अब बोझ सी लग रही है’
RCB फैंस के लिए ये पल बेहद भावुक था, लेकिन अब वही जश्न उनकी आंखों में आंसू लेकर आया है।
“जिन परिवारों ने अपनों को खो दिया, उनके लिए यह जीत सिर्फ एक ज़ख्म बन गई है। क्या यह आयोजन कुछ दिन बाद नहीं हो सकता था? क्या जश्न की खुशी जान से ज्यादा ज़रूरी थी?”
निष्कर्ष
RCB की जीत क्रिकेट के इतिहास में भले ही दर्ज हो गई हो, लेकिन इस जीत की कड़वी यादें उन परिवारों के लिए एक कभी ना भूलने वाला दर्द बन गई हैं जिन्होंने अपनों को खो दिया। जश्न मनाना गलत नहीं है, पर समय, परिस्थिति और जिम्मेदारी का ख्याल रखना ज़रूरी है। आज RCB की ट्रॉफी की चमक उन आंसुओं में धुंधली पड़ चुकी है जो चिन्नास्वामी स्टेडियम के बाहर बहाए गए।
क्या केवल जीत ही अहम है, या फिर वो इंसान भी जो उस जीत का हिस्सा बनना चाहता था?