नई दिल्ली: शनिवार तड़के पाकिस्तान के कई प्रमुख एयरबेस पर ब्रह्मोस सुपरसोनिक मिसाइलों और अन्य स्टैंडऑफ हथियारों से किए गए सटीक हवाई हमले, दोनों देशों के बीच बढ़ती तनाव की स्थिति को निर्णायक मोड़ पर ले आए। इन हमलों के बाद अमेरिका ने हस्तक्षेप किया और संघर्ष विराम की अपील की, जिसके बाद भारत ने यह स्वीकार किया कि उसके तीन मुख्य उद्देश्य – राजनीतिक, सैन्य और मानसिक – पहले ही पूरे हो चुके थे।
भारत के तीन मुख्य उद्देश्य:
भारत ने पाकिस्तान के खिलाफ 7 मई को सैन्य हमलों के बाद तीन मुख्य उद्देश्यों को पूरा किया था। इनमें राजनीतिक उद्देश्य था – पाकिस्तान के लिए आतंकवाद की कीमत को बढ़ाना, सैन्य उद्देश्य – पाकिस्तान के आतंकवादी ठिकानों को नष्ट करना और मानसिक उद्देश्य – यह साबित करना कि भारत कहीं भी, किसी भी समय पाकिस्तान को जवाब दे सकता है।
सरकारी सूत्रों के अनुसार, 7 मई को किए गए हमलों से भारत ने यह सिद्ध कर दिया कि अब पाकिस्तान सीमा पार आतंकवाद को बढ़ावा देने के लिए LoC (लाइन ऑफ कंट्रोल) या परमाणु धमकी का इस्तेमाल नहीं कर सकता। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने इस हमले के दौरान कहा था, “हम आतंकवादियों को मिट्टी में मिला देंगे” और यही रणनीति बहावलपुर, मुरिदके और मुज़फ्फराबाद में सफलतापूर्वक लागू की गई।
पाकिस्तान के नूर खान-चकला एयरबेस पर हमला:
रावलपिंडी में स्थित नूर खान-चकला एयरबेस पर हुआ बड़ा हमला विशेष रूप से महत्वपूर्ण था। यह एयरबेस पाकिस्तान के रणनीतिक योजनाओं के मुख्यालय के पास स्थित है, जो पाकिस्तानी परमाणु शस्त्रागार का नियंत्रण करता है। यह एयरबेस इस्लामाबाद से केवल 10 किमी दूर है, जो पाकिस्तान के लिए एक रणनीतिक खतरा था।
पाकिस्तान के परमाणु हथियारों की संख्या लगभग 170 है, जो भारत के समान हैं और देशभर के गुप्त स्थानों पर वितरित हैं। हालांकि, पाकिस्तान की नाभिकीय कमान और नियंत्रण संरचनाओं का विघटन हमेशा एक चिंता का विषय रहा है, क्योंकि इसमें वैकल्पिक कमान संरचनाओं की कमी है।
अमेरिका का हस्तक्षेप और संघर्ष विराम:
ऑपरेशन सिंदूर के बाद, पाकिस्तान ने अपने अमेरिकी सहयोगियों से मदद मांगी। अमेरिकी राज्य सचिव मार्को रुबियो ने 10 मई को पाकिस्तान के सेना प्रमुख आसिम मुनीर से बातचीत की और उन्हें बताया कि पाकिस्तान संघर्ष विराम पर राजी है। भारतीय अधिकारियों के अनुसार, संघर्ष विराम की यह स्थगन पाकिस्तान और भारतीय सैन्य मुख्यालय (DGMO) के बीच बातचीत के बाद हुआ, न कि किसी बाहरी हस्तक्षेप के कारण।
भारत की सैन्य रणनीति:
भारतीय वायुसेना (IAF) ने ऑपरेशन सिंदूर में पाकिस्तान के 9 एयरबेस और रडार साइटों पर सटीक हवाई हमले किए। इन हमलों में सुखोई-30MKI जैसे विमान शामिल थे, जो ब्रह्मोस मिसाइलों से लैस थे। सुखोई विमानों की रेंज को 290 किमी से बढ़ाकर 450 किमी किया गया है, जिससे भारतीय वायुसेना को लंबी दूरी से सटीक हमला करने की क्षमता मिली।
साथ ही, क्रिस्टल माज-2 मिसाइल, स्कैल्प एयर-टू-ग्राउंड क्रूज मिसाइल, हैमर एयर-टू-ग्राउंड प्रिसीजन गाइडेड म्यूनिशंस और स्पाइस-2000 प्रिसीजन गाइडेड बमों का भी ऑपरेशन में इस्तेमाल किया गया।
ऑपरेशन सिंदूर की सफलता:
भारतीय वायुसेना ने ऑपरेशन सिंदूर को सफलतापूर्वक अंजाम दिया, और पाकिस्तान को यह संदेश दिया कि भारत किसी भी वक्त, किसी भी स्थान पर आतंकवाद के खिलाफ हमला करने में सक्षम है। भारतीय सैन्य हमले ने यह साबित कर दिया कि अब पाकिस्तान सीमा पार आतंकवाद को बढ़ावा देने के लिए अपनी परमाणु क्षमता का सहारा नहीं ले सकता।
भारतीय अधिकारियों ने स्पष्ट किया कि हालांकि हिंसा रुक गई है, ऑपरेशन सिंदूर अभी समाप्त नहीं हुआ है और जब तक पाकिस्तान सीमा पार आतंकवाद को नहीं रोकता, तब तक भारत जल संधि को निलंबित रखेगा।
निष्कर्ष:
ऑपरेशन सिंदूर ने पाकिस्तान को यह स्पष्ट संदेश दिया कि आतंकवाद के समर्थन का कोई लाभ नहीं होगा। भारत ने यह सिद्ध कर दिया कि वह अपनी सुरक्षा के लिए किसी भी प्रकार के समझौते के पक्ष में नहीं है और सीमा पार आतंकवाद को समाप्त करने के लिए कोई भी कठोर कदम उठा सकता है।
भारत की यह सैन्य कार्रवाई यह संकेत देती है कि भविष्य में पाकिस्तान के किसी भी आतंकवादी हमले का भारत मुँहतोड़ जवाब देगा।