Saturday, July 12, 2025
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मलाला डे 2025 , मलाला,लड़कियों की शिक्षा और महिला अधिकारों की वैश्विक प्रेरणा

 आज का यह दिन है महिलाओं के लिए प्रेरणा का दिन। आज के दिन मलाला ने यूनाइटेड नेशन में एक स्पीच देकर इतिहास रख दिया था। मलाला को मिला था नोबेल पुरस्कार और विश्व भर की महिलाओं को मिला था एक सोचने का नया नजरिया। जीवन जीने का एक नजरिया विषम परिस्थितियों में भी हार ना मानने का नजरिया।

जाने कौन है मलाला क्या है उनका इतिहास और कैसे 17 वर्ष की आयु में मलाला बनी शांति नोबेल पुरस्कार विजेता के साथ महिलाओं की शिक्षा समानता के लिए पूरे विश्व की आवाज 

आज है मलाला डे,  मलाला के संघर्ष शिक्षा के अधिकार और महिलाओं के लिए अधिकार को समर्पित

आज है 12 जुलाई आज है मलाला डे 2025,  आज का यह दिन है महिलाओं के लिए प्रेरणा का दिन। आज के दिन मलाला ने यूनाइटेड नेशन में एक स्पीच देकर इतिहास रख दिया था। मलाला को मिला था नोबेल पुरस्कार और विश्व भर की महिलाओं को मिला था एक सोचने का नया नजरिया। जीवन जीने का एक नजरिया विषम परिस्थितियों में भी हार ना मानने का नजरिया।

कौन है मलाला 

मलाला का जन्म 12 जुलाई 1997 को पाकिस्तान के  मांगेरा में हुआ था मलाला का जन्म पाकिस्तान की स्वाद घाटी में हुआ था। उसके पिता एक बालिका विश्वविद्यालय चलाते थे और चाहते थे कि उनके बच्चों को एक जैसी शिक्षा मिले चाहे वह लड़के हो या लड़की मलाला ने 2008 में जब केवल 11 वर्ष की थी तभी से शिक्षा के अधिकारों के विषय में बोलना शुरू किया।

मलाला ने बीबीसी के लिए ब्लॉगिंग की। 2009 में जब तालिबान ने मलाला के घर का लड़कियों का स्कूल बंद करवा दिया तब भी वह अपनी आवाज उठाती रही और अंतरराष्ट्रीय स्तर पर प्रसिद्ध हुई। तालिबान ने उसके ऊपर हमला किया जिसका उसने बहादुरी से सामना किया और उसके बाद उसे मिला नोबेल शांति पुरस्कार 

क्या है मलाला की कहानी 

मलाला का जन्म पाकिस्तान की स्वाद घाटी में हुआ है जहां उसे शिक्षा के लिए संघर्ष करना पड़ा जब मलाला 15 वर्ष की थी। 2012 में एक तालिबानी बंदूकधारी ने मलाला की स्कूल बस में घुसकर मलाला के सिर पर गोली मारी लेकिन मलाला बच गई और 2013 में 1 साल बाद उन्होंने अपने जन्मदिन पर बेनजीर भुट्टो का शौल ओढ़ कर युवा शिक्षा दिवस पर भाषण दिया।

हर साल 12 जुलाई को विश्व में मलाला डे मनाया जाता है। मलाला ने तालिबान के डर के बावजूद लड़कियों की शिक्षा के लिए आवाज उठाई और साल 2014 में नोबेल शांति पुरस्कार मिला। 

मलाला डे की शुरुआत कैसे और कब हुई?

मलाला ने 2013 में जब यूनाइटेड नेशन में अपना भाषण दिया उस भाषण के दिन से ही 12 जुलाई को मलाला डे के नाम से घोषित कर दिया गया। हालांकि मलाला कहती है कि यह मलाला दिवस मेरा दिन नहीं है यह दिन हर उस महिला, हर लड़के, हर उस लड़की का है जो अपने अधिकारों के लिए आवाज उठाता है।

मलाला ने यूनाइटेड नेशन में क्या स्पीड दिया था 

मलाला ने यूनाइटेड नेशन में स्पीड दिया,  तालिबान द्वारा की गई हत्या की कोशिशें पर उसने कहा,,उन्हें लगा की गोलियां हमें चुप कर देंगीलेकिन वे नाकाम रहे और उस खामोशी से हजारों आवाज निकली।

मलाला को कब मिला शांति पुरस्कार 

मलाला को 2014 में सभी बच्चों के लिए समान शिक्षा के अधिकार को बढ़ावा देने के लिए उसके प्रयासों के लिए नोबेल शांति पुरस्कार का संयुक्त प्राप्तकर्ता चुना गया। अभी तक वह 17 साल की उम्र की सबसे कम नोबेल पुरस्कार विजेता बनी हुई है।

मलाला यूसुफजई ने कितनी पढ़ाई की है 

मलाला ने ऑक्सफोर्ड विश्वविद्यालय से दर्शनशास्त्र राजनीति शास्त्र और अर्थशास्त्र में स्नातक की उपाधि हासिल की है।

मलाला इस समय अपने पिता के साथ मलाला फंड की संस्थापक है जो लड़कियों की शिक्षा के लिए काम करने वाला एक अंतरराष्ट्रीय गैर लाभकारी संगठन है 

विश्व भर में क्या है लड़कियों की शिक्षा की स्थिति 

मलाला दिवस मुख्य रूप से उन लड़कियों के लिए है जो कि आज भी स्कूली शिक्षा पूरी नहीं कर पाईं हैं। जिन्हें आज भी प्राथमिक शिक्षा का अधिकार सर उठाकर जीने का अधिकार नहीं है।अभी भी विश्व भर में 19% बच्चियों अपनी स्कूली शिक्षा पूरी नहीं कर पाती है। 

भारत में क्या है महिला शिक्षा के लिए चुनौतियां 

भारत में शिक्षा की स्थिति महिलाओं के लिए पहले से बेहतर बनी हुई है फिर भी अभी भी कुछ ऐसी जगह है जहां पर लड़कियों को पढ़ने की उचित व्यवस्था न होने के कारण प्राथमिक शिक्षा पूरी करने के लिए भी नहीं मिल पाता है। आने वाले कुछ वर्षों में स्थितियां और बेहतर होगी।

भारत सरकार निरंतर अपनी योजनाएं बनाकर बच्चों को पढ़ाई के लिए प्रेरित कर रहे हैं बेटी बचाओ बेटी पढ़ाओ जैसी योजनाएं इसी सफलता का प्रतीक है।  विभिन्न समाज सेवी संस्थाएं और ग्रास रूट कार्यकर्ता इस क्षेत्र में कार्य कर रहे हैं । 

शिक्षा क्यों जरूरी है सबके लिए 

शिक्षा सभी की जरूरत है यह एक मानवाधिकार है। सभी के लिए शिक्षा बहुत आवश्यक है। प्रारंभिक और बुनियादी स्तर तक तो यह कम से कम निशुल्क होनी ही चाहिए मानव व्यक्तित्व के पूर्ण विकास व मौलिक स्वतंत्रता के प्रति सम्मान को मजबूत करने के लिए शिक्षा आवश्यक है महिलाओं के लिए शिक्षा और भी आवश्यक है क्योंकि अगर महिलाएं शिक्षित होती है तो पूरा परिवार शिक्षित होता है पूरा समाज से शिक्षित होता है पूरे देश का विकास होता है।

निष्कर्ष

 मलाला नाम नहीं है, एक सोच है, विषम परिस्थितियों में भी डटे रहने की। सर पर गोली लगने के बाद भी ना घबराने की और अपनी बात दुनिया के सामने रखकर दुनिया के सामने एक मिसाल कायम करने की। मलाला डे है आज सिर्फ एक लड़की का नहीं, पूरे विश्व की लड़कियों का दिन। आज के दिन हर लड़की को जिसे अवसर उपलब्ध है उसे विश्व की हर दूसरी लड़की के लिए एक मिसाल कायम करनी चाहिए और वे लड़कियां जिनके पास शिक्षा के अवसर नहीं है उन्हें हार ना मानते हुए शिक्षा के लिए, समानता के लिए संघर्ष करना चाहिए।

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