Saturday, June 14, 2025
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क्या है ध्यान, कैसे करें ध्यान ज्ञान के सातों चक्र कैसे जागृत करें

क्या है ध्यान, कैसे करें ध्यान ज्ञान के सातों चक्र कैसे जागृत करें, ध्यान एक स्थिति नहीं है बल्कि स्वयं को तलाशने की एक यात्रा है। हम एक ऐसी प्रक्रिया है जब आपका शरीर आपका तन आपकामन एककारहोते हैं और आपको एक असीम शांति एक अलौकिक सुख की अनुभूति होती है आईए जानते हैं ज्ञान के लिए क्या हमें तैयारी करने की आवश्यकता है। 

कैसे करें ध्यान 

सबसे पहले करें शरीर मन को तैयार 

अगर आपको मेडिटेशन ध्यान करना पसंद है तो सबसे पहले एक शांत वातावरण चुने जहां आपको तनाव मुक्त महसूस हो। ढीलेऔर आरामदायककपड़ों में पदमासन या सुखासन में बैठे। गहरी सांस लेकर शरीर को स्थिर और सहज अवस्था में रखें। मनको एक जगहटिकाने की कोशिश करें।आप सातोंध्यान चक्रों का जपकर सकते हैं। ओम गायत्री मंत्र या फिर यूं ही शांति से बैठकर अपनी आती जाती सांसों का मनन करें। शुरू में आपके विचार भटकेंगे लेकिन आप देखेंगे कुछ समय बाद आप स्थिर होने लगेंगे

एकाग्रता की अवस्था 

आप देखेंगे आपको हर तरह के विचार आएंगे। कभी क्रोध कभी उत्साह और कभी दुख और कुछ समय बाद आप शांत होते जाएंगे और यह एक दिन में नहीं होगा यह एक निरंतर अभ्यास की प्रक्रिया है धीरे-धीरे सीखने से ही आएगी। अगर आप एकाग्रता का अभ्यास करने में सक्षम हो पाते हैं तो यहीं से आप ध्यान का वास्तविक अभ्यास शुरू कर पाएंगे 

अपने मन के भीतर झांकना 

कुछ समय शांत होकर बैठने के बाद आपका मन एकाग्र होने लगेगा। आपके मन में अब नए विचार आना बंद होंगे और आप शांति से अपने अंदर झांकना शुरू करेंगे।एक जगह शांति से स्थिर बैठकर अपने मन की भीतर झांकना है। विचारों को बस आते जाते देखना है। यह आत्मनिरीक्षण का समय है जो धीरे-धीरे आपको खुद को पहचानने में मदद करेगा। 

शांति एवं पूर्णता का अनुभव 

इस अवस्था में आपके विचार शून्य होने लगेंगे। आपको एक क्षण के लिए ही सही अनंतता या दिव्यता का आभास होगा यह कुछ सेकेंड के लिए हो सकता है लेकिन यह अवस्था ज्ञान की चरम अवस्था होगी। 

पुनरागमन की अवस्था

अब आपको पुनरागमन की प्रक्रिया से गुजरना है। इस अवस्था में आप धीरे-धीरे अपनी सांसों को पुनः महसूस करना शुरू करेंगे शरीर की अनुभूति वापस धारण करेंगे। गहरी सांसों को लेकर आंखों को खोलेंगे आप देखेंगे कि आप अंदर से सहज और सरल हो रहे हैं।

क्या हैं ध्यान के सात चक्र?

ध्यान के सात चक्र शरीर के अंदर स्थित सात ऊर्जा केंद्र हैं जिन पर ध्यान साध कर आप खुद को अपने तन और मन दोनों को स्वस्थ रख सकते हैं। आईए जानते हैं उन चक्रों के विषय में 

मूलाधार चक्र 

यह रीड़ की हड्डी के नीचे स्थित होता है। यह आपको सुरक्षा व स्थिरता प्रदान करता है। इस चक्र का प्रयोग करने से आप जमीन से जुड़ते हैं स्थिर होते हैं। 

स्वाधिष्ठान चक्र

यह चक्र नाभि के नीचे स्थित होता है। यह आपको रचनात्मकता, भावनात्मकता प्रदान करता है। इस चक्र में ध्यान करने से आप मन को स्थिर करते हैं गहरे भावों का अनुभव करने लगते हैं सकारात्मक होते हैं। 

मणिपुर चक्र

यह चक्र नाभि क्षेत्र में स्थित होता है। यह चक्र आपके अंदर आत्मबल, आत्मविश्वास का विकास करता है। जब आप इस चक्रध्यान करते हैं तो आपके अंदर आत्मविश्वास की, मैं संपूर्ण हूं मैं कर सकता हूं की भावना विकसित होती है। 

हृदय चक्र अनाहत चक्र 

यह चक्र हृदय क्षेत्र में स्थित होता है यह चक्र प्रेम दया करुणा का प्रदर्शन करता है। इस चक्र में ध्यान कर आप दयालुता, करुणा की भावना महसूस करना सिखाते हैं। 

विशुद्धि चक्र 

यह चक्र आपके गले के मध्य में स्थित होता है। यह चक्र आपको आपकी मन की आवाज बोलने के लिए प्रेरित करता है। इस चक्र के द्वारा आप अपनी वाणी को नियंत्रित करते हैं। अगर आप इस चक्र में ध्यान करते हैं तो आप अपने अंदर की सच्चाई से जुड़ते हैं खुद को अच्छी तरह से व्यक्त करना सीखते हैं। 

आज्ञा चक्र 

यह चक्र दोनों भौहों के बीच में स्थित होता है यह आपके अंतर ज्ञान, स्पष्टता का प्रेरक है। इसके द्वारा हम मानसिक शांति और स्थिरता महसूस करते हैं। 

सहस्त्रार चक्र

सर के ऊपर स्थित यह चक्र आपके शरीर का सबसे मुख्य चक्र होता है। इस चक्र के द्वारा आप आध्यात्मिकता व ज्ञान से जुड़ते हैं। आपको आत्मा से परमात्मा से जोड़ने वाला यही चक्र होता है। इस चक्र के द्वारा आप दिव्यता का अनुभव करते हैं। 

 

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