नई दिल्ली:
भारत द्वारा हाल ही में पाकिस्तान और पाकिस्तान-अधिकृत कश्मीर (PoK) में आतंकवादी ठिकानों पर किए गए ऑपरेशन सिंदूर के कुछ ही दिन बाद, अब सीमावर्ती जिलों में सुरक्षा अभ्यास किए जाएंगे। ये मॉक ड्रिल्स गुजरात, पंजाब, राजस्थान और जम्मू-कश्मीर में आयोजित की जाएंगी।
इन अभ्यासों का उद्देश्य सीमावर्ती क्षेत्रों में सुरक्षा एजेंसियों की तत्परता को परखना और किसी भी आपात स्थिति में कार्रवाई की क्षमता का मूल्यांकन करना है।
ऑपरेशन सिंदूर: आतंक के अड्डों पर सटीक वार
7 मई की सुबह भारत ने एक सुनियोजित, बहु-स्तरीय सैन्य अभियान चलाया, जिसे ऑपरेशन सिंदूर नाम दिया गया। इस कार्रवाई में पाकिस्तान और PoK के भीतर 9 प्रमुख आतंकी स्थलों को निशाना बनाया गया। ये ठिकाने लश्कर-ए-तैयबा, जैश-ए-मोहम्मद और हिज्बुल मुजाहिदीन जैसे संगठनों के पुराने और रणनीतिक प्रशिक्षण केंद्र थे।
इस ऑपरेशन की पृष्ठभूमि में था 22 अप्रैल का पहलगाम हमला, जिसमें जम्मू-कश्मीर के एक पर्यटन स्थल पर हुए आतंकी हमले में 26 निर्दोष नागरिकों की जान गई थी। इनमें से अधिकांश पर्यटक थे। जांच में इस हमले की जिम्मेदारी पाकिस्तान आधारित आतंकी संगठन लश्कर-ए-तैयबा से जुड़ी पाई गई।
चार दिन की सैन्य कार्रवाई और फिर संघर्षविराम
ऑपरेशन सिंदूर के अंतर्गत भारत ने मिसाइल हमलों, ड्रोन छापों और तोपखाने की गोलाबारी के माध्यम से दुश्मन के गढ़ों को तबाह किया। ये कार्रवाई लाइन ऑफ कंट्रोल (LoC) के आर-पार चार दिनों तक चली।
आखिरकार, 10 मई की शाम से भारत और पाकिस्तान ने जमीन, हवा और समुद्र तीनों मोर्चों पर सैन्य गतिविधियों को रोकने पर सहमति जताई।
हालांकि संघर्षविराम घोषित हो चुका है, लेकिन तनाव की तपिश अब भी सीमाओं पर महसूस की जा रही है। इसलिए, सीमावर्ती जिलों में नागरिकों को सतर्क और तैयार रहने की सलाह दी गई है।
क्या है सुरक्षा अभ्यास का उद्देश्य?
इन सुरक्षा अभ्यासों के जरिए सुरक्षा बल यह सुनिश्चित करेंगे कि किसी भी संभावित खतरे की स्थिति में तत्काल और प्रभावी प्रतिक्रिया दी जा सके। साथ ही यह भी जांचा जाएगा कि स्थानीय प्रशासन और नागरिक सुरक्षा इकाइयों के बीच सहयोग और संवाद कितना मजबूत है।
निष्कर्ष:
सीमाओं पर भले ही शांति की कोशिशें की जा रही हों, लेकिन सुरक्षा एजेंसियों ने अपना साजोसामान कस लिया है। भारत की ओर से यह स्पष्ट संदेश है – आतंकवाद को न बर्दाश्त किया जाएगा, न ही नजरअंदाज।