आजकल के भाग दौड़ भरे दौर में ट्रैवलिंग एक लग्जरी नहीं थेरेपी है। कुछ समय पहले हम सबके लिए वेकेशन का मतलब नाना नानी के घर जाना या अपने किसी रिश्तेदार के घर जाना, दादा दादी के घर जाना, गांव जाना हुआ करता था लेकिन समय बदला और रिश्ते सिमटते चले गए। ऐसे में लोगों से मिलना जुलना, आना जाना भी काफी कम हो गया और कम हो गया हमारा एक दूसरे को समझने का नजरिया एक जगह से दूसरी जगह जाने का नजरिया।
पहले जहां वेकेशंस को अमीरों का शोक कहा जाता था शिमला, मनाली, मसूरी, गोवा जाना एक लग्जरी माना जाता था। ऐसी जगहों में जब बच्चे ट्रैवलिंग करके आते थे तो अपने दोस्तों को अपनी तस्वीर दिखा दिखा कर खुश होते थे और जो बच्चे वेकेशंस पर कहीं जा नहीं पाते थे वह अपने माता-पिता पर आकर अपना सारा गुस्सा निकाल देते थे और फिर उनके मम्मी पापा कहते थे कि बेटा ट्रैवलिंग तो अमीरों का शौक है
पर अब ट्रैवलिंग को एक थेरेपी माना जाता है जहां जाकर आपका तन और मन दोनों फिर से रिचार्ज हो जाता है। और अब ट्रैवलिंग का मतलब सिर्फ बड़ी-बड़ी जगह में घूमना, पहाड़ ,समुद्र देखना ही नहीं हो गया है बल्कि ट्रैवलिंग का अर्थ है कहीं भी ऐसी जगह जाना जहां जाकर आपको खुशी मिले।
क्यों है ट्रैवलिंग एक थेरेपी
हम सभी रात दिन मेहनत करते हैं सबको बहुत आगे जाने की एक ऊंचा मुकाम हासिल करने की होड़ लगी हुई है जिसमें वह रात दिन मेहनत करके पहुंचते भी है लेकिन मन की शांति न जाने कहां खो जाती है और फिर इसी मन की शांति की तलाश में निकल पड़ते हैं ट्रैवलिंग पर। जब लोग ट्रैवलिंग करते हैं तो सिर्फ यह एक यात्रा नहीं होती बल्कि यह एक स्थिति होती है
नजरिया सोच और मनोदशा बदलने की। ट्रैवलिंग के द्वारा सिर्फ हम बाहर की झील, नदी, पहाड़ समुद्र नहीं देखते बल्कि हम खुद भी अंदर से खुश और आनंदित महसूस करते हैं। आप सोच कर तो देखिए आप जहां आज से 20 साल पहले गए थे आज भी आप जगह के फोटो देखते हैं तो आपको वही समय वही फीलिंग याद आ जाती है तभी तो कहते हैं ट्रैवलिंग एक थेरेपी है जो आपको खुशी आनंदित महसूस कराती है।
ट्रैवलिंग है तन के साथ मन के लिए भी जरूरी
जब आप ट्रैवलिंग करते हैं तो फिर आप सोशल मीडिया से दूर होते हैं। आप अपने ऑफिस से दूर होते हैं। आप उन चीजों से दूर होते हैं जो आपके मन में कड़वाहट लाती है। आप अपनी रोज की बोरिंग लाइफ को छोड़कर कुछ नया एक्साइटिंग और एडवेंचरस करते हैं और यह सारी चीज़ें आपको ले जाती है खुशियों की तरफ। जहां आप खुद को खुश महसूस करते हैं रिलैक्स महसूस करते हैं।
ट्रैवलिंग से होता है हैप्पी हार्मोन रिलीज
जब आप कहीं घूमने निकलते हैं तो आप खुश होते हैं। नए लोगों से मिलते हैं नए अनुभव होते हैं। सुंदर दृश्यों को देखकर अच्छे खाने को खाकर आप खुश महसूस करते हैं और होता है आपका हैप्पी हार्मोन डोपामिन रिलीज।
आत्म मंथन
जब आप ट्रैवलिंग करते हैं तो आपको खुद को भी पॉलिश्ड करने का मौका मिलता है। खुद को अच्छे से कैरी करने का, अच्छे कपड़े पहनने का खुद को सुंदर बनाने का यही मौका होता है और आप सिर्फ तन से ही सुंदर महसूस नहीं करते। आपका मन भी तरो ताजा महसूस करता है । नए लोगों से मिलकर नई जगह घूम कर आप आत्म मंथन करते हैंऔर अपनी आपको सुधारने की एक निरंतर प्रक्रिया में लगे रहते हैं।
कैसे करें ट्रैवलिंग
जब भी आप ट्रैवलिंग करें, काफी सोच समझ कर प्लान करें। कम समय में अधिक से अधिक जगह घूमने की हड़बड़ाहट में ना रहे आराम से तसल्ली से घूमें। कोशिश करें कि भीड़भाड़ वाली जगह न जाए। भीड़भाड़ वाली जगहों की जगह आप ऐसी जगह जाएं जहां थोड़ी कम सुविधा हो पर शांति हो। जहां जाकर आप तरोताजा महसूस करें अगर आप छुट्टियों में भी ट्रैफिक में फंसे रहेंगे तो आपकी छुट्टियां आपके लिए मजा नहीं सजा होगी।