क्या बारिश का मौसम हर पौधे के लिए सही है रिपोटिंग के लिए, हम सभी बारिश के मौसम का इंतजार करते हैं और सोचते हैं कि बारिश में हमारे सारे पौधे खिल उठेंगे। बारिश में हम नए पौधे लगा पाएंगे या हम अपने पुराने पौधों की कटिंग के लिए भी बारिश की मौसम का ही इंतजार करते हैं लेकिन क्या हर पौधे के लिए बारिश का मौसम सही है
बात सिर्फ मौसम की ही नहीं है पौधों की देखभाल है एक नियमित प्रक्रिया
सिर्फ बारिश का मौसम पौधों के लिए खुशनुमा नहीं होता। इसके अलावा भी हमें पौधों की देखभाल के लिए कुछ विशेष चीजों का ध्यान रखने की आवश्यकता है। हमें आवश्यकता है गमले की मिट्टी का ध्यान रखने की ,पौधे को अच्छा पोषण देने की और साथ ही साथ उसके स्थान परिवर्तन के विषय में सोचने की। रिपोटिंगसे पहले आवश्यक सावधानियां जरूर बरतें।
अगर हम बारिश के मौसम में पौधे को बिना उचित देखभाल के और जल्दबाजी में एक जगह से दूसरी जगह ले जाएंगे तो इसका असर पौधे पर अवश्य पड़ेगा।
बारिश के मौसम में रिपोटिंग करने से क्या पौधों को पोषण मिल पाएगा ?
बारिश के मौसम में लगातार बारिश से पानी गिरता है और मिट्टी का पोषण बिगड़ने लगता है बारिश के पानी के साथ खाद और पोषक तत्व भी बह जाते हैं जिसके कारण पौधे को मिलने वाला पोषण कम होने लगता है।
रिपोटिंग के बाद पोषण के कम होने से पौधे की वृद्धि पर पड़ता है
जब भी हम पौधे की रिपोटिंग करते हैं तो हम खाद मिलाते हैं जो कि बारिश के पानी में बह जाती है। ऐसे में मिट्टी कड़ी होने लगती है जिससे पौधे की वृद्धि रूकने लगती है।
बारिश में रिपोटिंग से पौधा होता है संवेदनशील
आपने अगर ध्यान किया हो तो जब भी अपने बारिश के मौसम में पौधों को रिपोट किया है तो पौधे बहुत जल्दी खराब होने लगते हैं ऐसा इसलिए होता है क्योंकि पौधों की जड़े कुछ हद तक खुल जाती है और कमजोर हो जाती है बारिश के मौसम में अत्यधिक नमी के कारण जड़ों के सड़ने का खतरा अधिक होता है और साथ ही साथ फंगल इन्फेक्शन का खतरा भी अधिक होता है।
बारिश के मौसम में होती है हवा की कमी
बारिश के मौसम में होती है अत्यधिक नमी, बारिश के मौसम में मिट्टी बहुत गीली होती है जिसके कारण मिट्टी में हवा का सरकुलेशन अच्छे से नहीं हो पाता। ऐसी मिट्टी में जब पौधा लगाया जाता है तो मिट्टी दलदली होने लगती है। पौधे की जड़ों को पर्याप्त मात्रा में ऑक्सीजन नहीं मिल पाता और पौधे की जड़े कमजोर और पीले होने लगती है जिसके कारण पौधा सूखने या गलने लगता है।
बारिश के मौसम में बढ़ जाता है पौधे के संक्रमण का खतरा
बारिश के मौसम में अगर पौधों की रिपोटिंग की जाए तो संक्रमण का खतरा अधिक बढ़ जाता है। क्योंकि इस मौसम में पौधों के सड़ने या फंगस लगने का खतरा अधिक होता है।
पौधे की रिपोटिंग करें पौधे के अनुसार
हर पौधे की प्रजाति अलग होती है उसी के अनुसार उसे वातावरण चाहिए होता है कुछ पौधों को अधिक नमी चाहिए होती है तो कुछ पौधों को शुष्क वातावरण चाहिए होता है पौधे की प्रजाति को देखकर ही पौधे की रिपोटिंग करें।
रिपोटिंग करते समय तापमान का रखें ध्यान
पौधे की रिपोटिंग करते समय तापमान पर नजर रखें। अधिक ठंडी में भी पौधा जम नहीं पता और अधिक गर्मी में पौधा झुलस जाता है। इसलिए ऐसे मौसम में पौधे की रिपोटिंग करें जब हल्की गर्मी हो और स्थिर मौसम हो।
बारिश में रिपोटिंग की जगह बारिश के बाद करें रिपोर्टिंग
जब आप बारिश के बाद रिपोर्टिंग करेंगे तो मिट्टी में संतुलित नमी रहेगी और मौसम स्थिर हो जाएगा यही मौसम रिपोर्टिंग के लिए सबसे अच्छा होता है क्योंकि इस समय जड़े भी अच्छे से जमेगी और खाद मिट्टी में रह पाएगी।
बारिश के बाद रिपोर्टिंग करते समय पौधे का कैसे रखें ध्यान
बारिश के बाद रिपोर्टिंग करने के बाद पौधे को छांव में रखें। रिपोर्टिंग की मिट्टी में नीम की खली, दालचीनी पाउडर और जड़ों में हल्दी लगाने से पौधे में फंगस लगने का खतरा खत्म हो जाएगा।