अमेरिका के साथ ट्रेड डील के लिए गई भारत की टीम वापस लौटी, अमेरिका के सुरक्षा शुल्क टैरिफ के जवाब में क्या भारत लगाएगा अमेरिका के खिलाफ जवाबी टैरिफ WTO में रखा प्रस्ताव? अमेरिका के साथ ट्रेड डील के लिए अमेरिका गई भारत की टीम वापस आ गई हैअनुमान लगाया जा रहा है कि उन्होंने अहम मुद्दों पर बातचीत कर ली है लेकिन अभी भी कृषि और ऑटोमोबाइल के क्षेत्र में वार्ता संभव नहीं हो पाई है।।
अमेरिका के साथ ट्रेड डील के लिए गई भारत की टीम वापस लौटी
अमेरिका के साथ ट्रेड डील के लिए गई भारत की टीम वापस लौटीभारत की तरफ से नेगोशिएटर राजीव अग्रवाल इस टीम को लीड कर रहे थे।अनुमान लगाया जा रहा है कि उन्होंने अहम मुद्दों पर बातचीत कर ली है लेकिन अभी भी कृषि और ऑटोमोबाइल के क्षेत्र में वार्ता संभव नहीं हो पाई है। कल भारत ने ऑटोमोबाइल सेक्टर पर अमेरिका के राष्ट्रीय सुरक्षा के आधार पर लगाए गए टैरिफ के जवाब में विश्व व्यापार संगठन में अमेरिका के खिलाफ जवाबी टैरिफ लगाने का प्रस्ताव रखा है। यह प्रस्ताव उसे समय रखा गया जबकि भारत और अमेरिका के बीच ट्रेडिंग पर बातचीत चल ही रही थी।
कहां अटकी है बात
कृषि के क्षेत्र में
अमेरिका अपने कृषि उत्पादों को भारत में प्रवेश करना चाहता है लेकिन भारत अमेरिका के कृषि उत्पादों को भारत में प्रवेश नहीं करना देना चाहता क्योंकि इससे भारतीय कृषि और कृषकों को काफी नुकसान हो सकता है।
ऑटोमोबाइल सेक्टर में
भारत ऑटोमोबाइल सेक्टर में चाहता है कि अमेरिकी कंपनियां भारत में निवेश करें लेकिन अमेरिका चाहता है कि भारत टैरिफ ड्यूटी में कमी करें।
भारत चाहता है
हस्तशिल्प उद्योग का अमेरिका में बढ़ावा
भारत के हस्तशिल्प उद्योग को अमेरिका में काफी टैक्स का सामना करना पड़ता है। जिसके कारण भारतीय सामान काफी महंगा हो जाता है चाहे वह चमड़े के जूते हो या फिर हैंडीक्राफ्ट का समान हो जिसके कारण प्रतिस्पर्धा बढ़ जाती है और आम नागरिक उस समान को नहीं खरीद पाए। इसलिए भारत चाहता है कि भारत के हस्तशिल्प उद्योग को अमेरिका में कम टैरिफ का सामना करना पड़े।
आईटी, टेक्नोलॉजी, फार्मा, इंजीनियरिंग जैसे क्षेत्र में अमेरिका में पहुंच
भारत चाहता है कि भारतीय कंपनियां अमेरिका में ज्यादा एक्सेस कर पाए ताकि भारत की मेकिंग इंडिया और पीएल आई स्कीम को फायदा मिल सके।
वार्ता के सफल न होने पर क्या होगा
अगर ट्रेड डील वार्ता सफल नहीं हो पाती तो अमेरिका 9 जुलाई से नए टैरिफ नीति को लागू करेगा उन देशों पर भारी टैक्स लगाएगा जो देश उस पर भारी टैक्स लगा रहे हैं और जिनके साथ उसका कोई व्यापार समझौता नहीं हुआ है। भारत का अभी अभी तक अमेरिका से कोई व्यापार समझौता नहीं हुआ है अगर 9 जुलाई तक यह बातचीत किसी निष्कर्ष पर नहीं पहुंचती है तो अमेरिका भारत पर रिसिप्रोकल टैरिफ या भारी टैरिफ लगाएगा।
डोनाल्ड ट्रंप ने लगाया है भारत के ऊपर सेफगार्ड के रूप में टैरिफ
अमेरिका ने 26 मार्च को भारत के ऊपर ऑटो पार्ट्स और ऑटोमोबाइल क्षेत्र में सेफगार्ड उपाय के रूप में 25% टैरिफ लगाया था जो 3 मई 2025 से लागू हो चुका है डोनाल्ड ट्रंप का कहना है कि अमेरिका कई सालों से ग्लोबल ट्रेड में नुकसान झेल रहा है और उनके इस कदम से अमेरिका के मैन्युफैक्चरिंग सेक्टर को बढ़ावा मिलेगा।
डोनाल्ड ट्रंप को लगता है कि उनके इस कदम से अमेरिकी बाजार में दूसरे देशों की प्रतिस्पर्धा कम हो जाएगी। इस टैरिफ में हल्के ट्रक का लिथियम, आयन बैटरी, टायर, स्पार्क प्लग वायर शॉक अब्जॉर्बर, इंजन ट्रांसमिशन जैसी चीज शामिल हैं। डोनाल्ड ट्रंप ने इन सभी वन नियमों का रजिस्ट्रेशन WTO में नहीं कराया है।
भारत सोच रहा है जवाबी टैरिफ लगाने के विषय में
भारत का कहना है कि व्यापार शुल्क सामान्य समझौता 1994 और सुरक्षा समझौते के अनुकूल नहीं है। इस बारे में अमेरिका ने भारत के साथ परामर्श भी किया है। इसलिए भारत रियायतों को निलंबित करने का अधिकार सुरक्षित रखता है।
निष्कर्ष
भारत और अमेरिका के बीच में ट्रेडिंग अभी अपने अनुकूल परिणाम तक नहीं पहुंच पाई है। इसी बीच भारत ने WTO में अमेरिका द्वारा लगाए गए सुरक्षा शुल्क पर टैरिफ के विरोध में जनवरी 2025 में भारत द्वारा अमेरिका को दी जा रही रियायतों को खत्म करने और जवाबी टैरिफ लगाने के विषय में सोचना शुरू किया है।
हो सकता है कि भारत के तरफ से सिर्फ रियायतों को खत्म किया जाए जो की जवाबी टैरिफ का काम करें अब आने वाले समय में देखना यह है कि भारत और अमेरिका की ट्रेड डील संभव हो पाती है या नहीं।